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अविष्कार

 अविष्कार केवल बड़े- बड़े वैज्ञानिक ही नहीं करते बल्कि वो भी करते है जो हमारी नजर में सबसे औसत है। इतिहास गवाह है कि  बढ़ई, लुहार, रसोइया, मिस्त्री, और यहाँ तक कि विशुद्ध गृहणियां भी अविष्कारक है। इन सभी लोगों ने अपनी अपनी अड़चनों को दूर करने के लिए नए नए जुगाड़ लगाए। जिससे लाखों लोग लाभान्वित हुए है। बस ये अलग बात है कि इनका अविष्कार किसी बंद लैब में नहीं हुआ बल्कि सबके सामने हुआ इसलिए इन्हें कोई मेडल नहीं मिला, न कोई सराहना मिली। बस ये अविष्कार सबके काम आए।

आत्महत्या ( किसी का दोस्त बन उसकी मदद कीजिये )

  आत्महत्या  करना दरअसल कोई नहीं चाहता लेकिन उसकी मानसिक स्थिति का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते है कि वो कितना अकेलापन फ़ील कर रहा होगा. हम बस प्रवचन बांटना शुरू कर देते है, 'खुश रहा करो, दूसरों से उसकी तुलना करना शुरू कर देते है, जो कि गलत है'। आत्म हत्या से इंसान हर उलझन से मुक्त हो जाना चाहता है। उसे उस वक्त सिर्फ अपनी उलझने ही नजर आती है। वो उस वक्त अत्यधिक डिप्रेशन में होता है, और बहुत ही ज्यादा अकेलापन महसूस कर रहा होता है। उसे उस वक्त किसी दोस्त या किसी अपने की जरूरत होती है, सबसे ज्यादा। लेकिन उस वक्त उसके पास कोई नहीं होता सिवाय उसकी उलझनों के, हम सब बहुत अजीब है बस प्रवचन बांटने में लगे रहते है जब तक खुद मसीबत से घिर अकेले न हो जाये। बातें बड़ी- बड़ी करते है लेकिन मदद के वक्त नजरें चुरा लेते है। जब भी किसी का व्यवहार नकारात्मकता से भर जाए, वो बहुत अकेलापन महसूस करे, अजीब तरह की बातें करें, सबसे कट जाए, खुद को एक अलग ही दुनिया का प्राणी महसूस करे, हार की बातें करे, उदासी से घिरा हुआ हो, उसे हल्के के मत लीजिए उसका दोस्त बन उसकी मदद कीजिये, बिना किसी प्रवचन और बेमतलब की सलाह...

बलात्कार

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  अगर हम संवेदनशील है तो खबर हमें स्पर्श करती है अन्यथा हम खबर पढ़ कर यही प्रतिक्रिया करते है कि उफ, फिर वही बलात्कार की खबर? बलात्कार एक ऐसा शब्द जो हिंसा से भरा हुआ है इसे सुनते ही मन मे क्रोध उपजता है। स्त्री शरीर जिसे सभी पुरुष पाना चाहते है। पर इसके लिए झुकता कोई नहीं। ईश्वर ने नर और नारी की शारीरिक संरचना भिन्न इसलिए बनाई कि संसार आगे बढ़ सके न कि संसार एक को कुचल आगे बढ़े। बलात्कार के 80 प्रतिशत मामले घर की चार दीवारी में ही घटित होते है। ये आंकड़े हमें कभी उपलब्ध ही नहीं हो पाते क्योंकि इसकी चीखे घर में ही दब कर मर जाती है। बलात्कार झुग्गी- झोपड़ियों में ही नहीं बल्कि अच्छे घरो में भी होते है। बलात्कार एक विकृत मानसिकता का नशा है। बलात्कार की हर घटना एक बच्ची या महिला के साथ उसके पूरे परिवार का जीवन तबाह कर देती है। बलात्कार का सबसे बड़ा कारण पुरुषों की मानसिक दुर्बलता-- स्त्री देह को लेकर बने सस्ते चुटकुलें, छिछोरी गपशप, इंटरनेट पर परोसे जाने वाले घटिया फोटो, बेहुदा कमेंट, पोर्न फिल्में, और फिर उत्तेजक किताबें, पुरुषों की मानसिकता को दुर्बल कर देती है और वो उत्तेजना में अपनी मर्...

स्त्री

प्रायः अपहरण के बाद महिला को पीटकर व अधमरी कर दुष्कर्म होता है। समान अवसर मिले, तो महिला, पुरुष पर भारी पड़ सकती है। सिमॉन द बुआ के लेखों में स्त्री को पुरुष से अधिक ताकतवर माना गया है। एक लेख में कहती हैं कि जब स्त्री, बुर्जुआ प्रसाधनों को ठुकराकर अपने मूल स्वरूप में सामने आती है, तब पुरुषों की टांगे कांपने लगती हैं। नारी देह के स्वाभाविक ताप को वह सहन नहीं कर पाता। हमारे दोहरे मानदंड सामाजिक व्यवहार में स्पष्ट दिखते है।